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    वक़्फ का अर्थ

    जैसा कि 2013 में संशोधित "वक़्फ अधिनियम- 1995 की धारा 3 (आर)" के तहत परिभाषित किया गया है, वक़्फ का अर्थ है मुस्लिम कानून द्वारा धार्मिक या धर्मार्थ मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी चल या अचल संपत्ति के किसी भी व्यक्ति द्वारा स्थायी समर्पण।

    वक़्फ के प्रकार

    सामान्यतः निम्नलिखित तीन प्रकार के वक़्फ होते हैं-
    1. वक़्फ उपयोग द्वाराः जहां किसी भूमि के किसी हिस्से अथवा किसी इमारत को स्थायी रुप से मुस्लिम धर्म के किसी धार्मिक अथवा पवित्र उद्देश्य हेतु निर्बाध रूप से उपयोग में लाया जा रहा हो एवं उक्त सम्पत्ति के स्वामी को इससे कोई आपत्ति न हो अथवा उसने ऐसा करने की अनुमति दी हो तो इस प्रकार के वक़्फ को उपयोग द्वारा वक़्फ कहा जाता है। जैसे- मस्जिद, सार्वजनिक कब्रिस्तान, दरगाह, मजार इत्यादि।
    2. वक़्फ मशरुतुल खिदमात/अलल-खैरः ऐसा सार्वजनिक वक़्फ जो कि वाक़िफ द्वारा अपनी निजि चल-अचल सम्पत्ति को मुस्लिम समुदाय के सामान्य लाभ हेतु वक़्फ(समर्पित) किया हो।
    3. वक़्फ अलल-औलादः यह वक़्फ इस्लामिक कानून के तहत ऐसी अनूठी विशेषता है जिसमें वाक़िफ अपनी निजि सम्पत्ति को अपने परिवार अथवा अपने बच्चों या उनके बच्चों के कल्याण हेतु वक़्फ किया जाता है। जब वाक़िफ की उत्तराधिकार की रेखा समाप्त हो जाए तो वक़्फ की आय मुस्लिम समुदाय की शिक्षा, विकास, कल्याण अथवा इस्लामिक कानून के तहत मान्य किसी उद्देश्य हेतु व्यय की जाएगी।

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